Happy Friendship's Day
हप्पी फ्रेंडशिप-डे
यूं तो आज के दिन पूरी दुनिया में फ्रेंडशिप डे की धूम है लेकिन मुझे लगता है कि दोस्ती में जब तक जिंदगी है तब तक हर दिन फ्रेंडशिप डे है और यही समझने में हम अक्सर आधी जिंदगी बिता देते हैं- जैसे मैं। मेरे कुछ दोस्त बचपन से आज तक साथ है कुछ खून के रिश्ते दोस्ती में बदल गए कुछ प्रोफेशनल रिश्ते अब दोस्त बन चुके हैं फिलहाल मैं यह कह सकती हूं कि हां, मेरे साथ ऐसे दोस्त है जो मेरी बकवास घंटों तक सुनते हैं मेरी बिन सिर पैर की बातों पर मेरे साथ बेवजह हंसते हैं, चेहरा देख कर मेरे साथ हुए कांड का पता लगा लेते हैं,जब लगता है कुछ गलत होने जा रहा मुझसे तो पूरे अधिकार से डांट डपट भी देते हैं मेरी जली कटी सुनते भी हैं अपनी सुनाते भी हैं फिलहाल दोस्तों के साथ जिंदगी गुलजा़र है।
गार्गी बिटिया ने घर के बाहर के रिश्तो को अब बनाना शुरू किया है या यूं कहिए की बालपन में रिश्ते अपने आप ही बन जाते हैं। बच्चे मासूम होते हैं उन्हें कुछ भी करना नहीं होता है उनके साथ चीजें अपने आप होती चली जाती हैं जिसकी वह स्वाभाविक और निश्चल प्रतिक्रिया देते हैं और यही सब चीजें मिलकर उनके लिए एक नया अनुभव बन जाती है। गार्गी कि जिंदगी में अब कुछ दोस्तों में जगह बना ली है, वह स्कूल जाती है जहां उसके दोस्त मिलते हैं। मुझे उसके दोस्तों से दोस्ती करने का बहुत मन होता है लेकिन वह सब आपस में ही मिलकर फुदकते रहते हैं इसलिए सारे दोस्तों की माओं ने आपस में दोस्ती कर ली है अब हमारा एक मॉम गैंग भी है। इन बच्चों को आपस में खेलते, पढ़ते, लड़ते , एक दूसरे को मनाते जब हम देखते हैं तो बड़ा आनंद आता है। जब कोई एक बच्चा रोने लगता है तो उसके साथ उसके बाकी दोस्त भी रोने लगते हैं अगर किसी एक के पास कोई चीज है तो बाकी भी उसी के पीछे पड़ जाते हैं। बालपन की दोस्ती सबसे अनोखे होती है बहुत सरल, सीधी और सपाट। मैं गार्गी को यही समझाती हूं कि वह सभी दोस्तों के साथ बराबरी से रहे कोई उसके पीछे रह जाए तो रुक कर उसको अपने साथ लाने की कोशिश करें और अगर किसी से पीछे रह जाए तो खुद को उसके बराबर आने का भरसक प्रयास करें। दोस्ती बराबरी देखकर नहीं की जाती, दोस्ती करके सब कुछ बराबर कर लिया जाता है सुख-दुख, व्याकुलता, कमियां और अच्छाइयां और सब कुछ।
मेरे माता पिता ने मुझे हमेशा को-एड् में पढ़ाया, स्कूल में हम लड़के लड़कियां एक ही सवाल हल कर रहे होते थे एक ही अंग्रेजी-हिंदी पढ़ रहे होते थे एक दूसरे के घर भी हम सब दोस्त लड़के हो या लड़कियां जाया करते थे, बाजार में कभी अपने माता पिता या भाई बहनों के साथ मिलने पर आंख नहीं चुराते थे बल्कि बहुत खुशी से बताते थे कि फलाने मेरे दोस्त हैं-फलाने मेरी सहेली है स्कूल, कोचिंग, कॉलेज, यूनिवर्सिटी न जाने कहां-कहां पढ़ाई कर चुके हैं, आज इस उम्र में मैंने तमाम जगहों पर काम किया है और खूब दोस्त बनाए हैं (और कुछ दुश्मन भी) लेट नाइट शिफ्ट में काम करती हूं जहां पुरुष और महिलाएं दोनों साथ होते हैं लेकिन कभी कोई बुरा अनुभव नहीं हुआ। शायद इसका एक कारण यह भी है कि मैंने बचपन से ही सीख लिया था कहां अपने दायरे को विस्तार देना है कहां उसको सिकोड़ना है और किस तरह के समूह में खुद को किस तरह से प्रदर्शित करना है। मुझे हमेशा से लगता है कि कोई भी रिश्ता बुरा या भला नहीं होता बल्कि लोग उसे बुरा या अच्छा बनाते हैं।
आज फ्रेंडशिप डे पर यही चाहती हूं कि गार्गी अपने दोस्त बनाएं खूब दोस्त बनाएं उनसे कुछ अच्छा सीखें अपनी कुछ अच्छाइयां उनको सिखाए।
गार्गी बिटिया खुद एक लड़की होकर लड़कियों से ही नहीं लड़कों से भी पक्की वाली दोस्ती करना। उनसे गंभीरता, दृढ़ता और कर्मठता सीखना और उनको भावनात्मकता, संवेदनशीलता और सरलता सिखाना। ऐसी खालिस दोस्ती करना जहां कुछ भी साझा करते वक्त मन में कोई खोट ना आए। दोस्ती में लड़का है या लड़की है से पहले यह सोच सामने आनी चाहिए कि सामने वाला एक इंसान है।
हर उस मिथक को तोड़ना जहां यह कहा जाता है कि एक लड़का और लड़की अच्छे दोस्त नहीं हो सकते और ना ही कभी उनको अपना परस्पर प्रतिद्वंदी मानना। तुम सब एक ही हांड मांस के बने हो, एक जैसा खानपान है, पढ़ने लिखने के समान अवसर तुम दोनों के पास होंगे इसलिए लड़के और लड़कियां तुम दोनों एक दूसरे के अच्छे दोस्त बनना तभी हमारा समाज संतुलन के साथ आगे बढ़ पाएगा।
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