मां.... एक पिता

            मां.... एक पिता

जो औरत एक बच्चे को पैदा कर सकती है उसके लिए अपने बच्चों को पालना कोई बहुत मुश्किल काम नहीं है। औरत अकेले बच्चे पाल नहीं सकती ये धारणा समाज के द्वारा बनाया गई है और यह बात शुरू से हर लड़की के दिमाग में छाप दी जाती है और फिर कहीं ना कहीं यह उसके थिंकिंग प्रोसेस का हिस्सा बन जाती है और वो धीरे-धीरे इस बात को मान ही लेती है कि हां, उसके बच्चे के लिए पिता का होना जरूरी है भले ही वो उस संबंध में भावनात्मक और मानसिक रूप से अनुपस्थित हो। अब होता ये है कि इस पंगु से रिश्ते में सब साथ बने रहते हैं क्योंकि समाज एक मां और उसके बच्चे को कभी भी एक पिता नाम की चीज़ के बिना एक्सेप्ट नहीं करेगा और नाम के लिए ही सही, सरकारी कागज़ों पर पिता का कॉलम खाली न रहे इसलिए यह नासूर पालता रहता है, केवल इसी कारण से एक औरत किसी गलत इंसान के साथ अपने जीवन का एक लंबा समय बिता देती है और अपने बच्चों को भी एक ऐसे व्यक्ति के साथ रहने पर मजबूर करती हैं जो कि सबके लिए विकृत माहौल बनाए रखता है। मेरी ये बात सामान्यतः समझ में आने वाली नहीं है लेकिन जो कोई भी ऐसे किसी व्यक्ति के साथ जी रहा हैं जो शुद्ध रूप से narcissist है वह इस बात से इत्तेफ़ाक रखेगा। यह मेरा व्यक्तिगत अनुभव है एक narcissist व्यक्ति कैंसर की बीमारी से ज़्यादा ख़तरनाक है, कैंसर में तो कीमोथेरेपी, रेडियोथेरपी की गुंजाइश है लेकिन ऐसे व्यक्ति के साथ अगर आप फंस गए हैं तो वह आपका अस्तित्व धीरे धीरे खाकर दूसरे शिकार की तरफ बढ़ते हैं और वह दूसरा शिकार सिर्फ़ आपके बच्चे ही होते हैं। 

अगर आप मां हैं और इस कोमल और शारीरिक रूप से कम बलिष्ठ देह से बच्चे जन सकती हैं, अगर आप मर्द से कमज़ोर बाजुओं में बच्चे को झुला सकती हैं तो आप मर्दों कि तुलना में कुछ कम चौड़े अपने कंधों पर बच्चे को दुनिया भी दिखा सकती हैं।

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