LET GO...



धीरे-धीरे हम लोग उम्र के उसे दौर में आ गए हैं जहां हम बहुत कुछ खो चुके हैं...खो चुके हैं उन्हें जिन्हें हम बहुत चाहते थे जो एक वक्त हमारे थे हमें चाहते थे, हम खो चुके हैं अपने सबसे प्यारे खिलौने, सबसे पसंदीदा ड्रेस, सबसे प्यारा दोस्त और सबसे अज़ीज़ प्यार लेकिन सब कुछ खो देने के बाद भी हम आगे बढ़ गए बहुत सारा grief बहुत सारा pain अपने अंदर समेटे हुए। हमने अपने मन के भीतर इनकी तह लगा रखी हैं, याद नहीं करना चाहते फिर भी सब कुछ याद है और रोज़ यह सब खुद को समझाते हुए भी हम मुस्कुराते हैं और पूरी कोशिश करते हैं कि यह किसी को भी ना पता चले की हमने क्या-क्या खो दिया है। हम हार गए हैं लेकिन हारे हुए दिखाना नहीं चाहते। अब हम let go के एक्सपर्ट हो गए हैं लेकिन चली गई चीजों का सम्मान हमने उसी जगह पर बनाए रखा है। उम्र के उस दौर में आ चुके हैं जहां किसी चीज़ का चले जाना अब ज्यादा परेशान नहीं करता क्योंकि शायद उस बेचैनी को उसकी तकलीफ़ की सारी हदें हम पार कर आए हैं, अब ऐसा लगता है कि खोने के लिए हमारे पास कुछ भी नहीं है और फिर भी हम रोज़ सब कुछ खोने के लिए तैयार बैठे हैं। अब पहले जैसा कुछ भी शायद हमें न मिल पाएगा और न ही हम पहले जैसा खुद को बना पाएंगे लेकिन तब भी यह हम बहुत अच्छे से जानते हैं कि हम सब कुछ हार कर भी जीत गए हैं, हम जिंदगी को जीत गये हैं और यह जान चुके हैं कि एक दिन सब कुछ चले जाने देना, सब कुछ खो देना ही जिंदगी का असली मतलब है।


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