अपनी समझ का इस्तमाल कीजिये
विचारणीय ......
मुफ़्तख़ोरी की पराकाष्ठा!
मुफ़्त ऋण
मुफ़्त दवा,
मुफ़्त जाँच,
लगभग मुफ़्त राशन,
मुफ़्त शिक्षा,
बच्चा पैदा करने पर पैसे ,
बच्चा पैदा नहीं (नसबंदी)करने पर पैसे,
स्कूल में खाना मुफ़्त ,
मुफ़्त बाँटने की होड़ मची है,
पिछले दस सालों से लेकर आगे बीस सालों में एक एसी पूरी पीढ़ी तैयार हो रही है या हमारे नेता बना रहे हैं जो पूर्णतया मुफ़्त खोर होगी!
अगर आप उनको काम करने को कहेंगे तो वो गाली देकर कहेंगे की सरकार क्या कर रही है!
ये मुफ़्त खोरी की ख़ैरात कोई भी पार्टी अपने फ़ंड से नही देती टैक्स दाताओं का पैसा इस्तेमाल करती है!
हम नागरिक नहीं परजीवी तैयार कर रहे हैं!
देश का अल्प संख्यक टैक्स दाता बहुसंख्यक मुफ़्त खोर समाज को कब तक पालेगा ?
जब ये आर्थिक समीकरण फ़ेल होगा तब ये मुफ़्त खोर पीढ़ी बीस तीस साल की हो चुकी होगी जिसने जीवन में कभी मेहनत की रोटी नही खाई होगी हमेशा मुफ़्त की खायेगा !नहीं मिलने पर, ये पीढ़ी नक्सली बन जाएगी , उग्रवादी बन जाएगी पर काम नही कर पाएगी !
सोचने की बात है कि सरकारें कैसा समाज का निर्माण करना चाहती है??
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