नई चेतना, नई ऊर्जा का त्यौहार मनाएं...... आओ नववर्ष मनाएं मयस्सर डोर से फिर एक मोती झड़ रहा है, तारीखोंं के जीने से दिसंबर उतर रहा है, कुछ चेहरे घटे, कुछ यादें जुड़ गई वक्त में, उमर का पंछी नित दूर-दूर उड़ रहा है, गुनगुनी धूप और ठिठुरती रातें जाड़े की, गुजरे लम्हों पर भी झीना झीना पर्दा गिरा रहा है, जा़यका लिया नहीं जिंदगी का और फिसल रही है जिंदगी, आसमां समेटता वक्त, बादल बन उड़ रहा है, फिर एक दिसंबर गुजर रहा है........ हर साल हम यही सोचते हैं कि यह साल बहुत जल्दी बीत गया | साल का आखिरी महीना इसी उधेड़बुन में निकल जाता है कि जाता हुआ यह साल हमें क्या दे गया या हमसे क्या लेकर चला गया | हर साल की यही कहानी है, हर साल नया साल आएगा कुछ ना कुछ सिखाएगा जिंदगी की किताब में कुछ नए अध्याय जोड़ कर जाएगा और हम हर साल पुराने सालों की याद करेंगे | नए साल के बहाने हमें एक मौका मिलता है जब हम पीछे मुड़कर देख सकते हैं कि हमने अपने साथ क्या किया, अपने आस...