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Showing posts from December, 2018
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        नई चेतना, नई ऊर्जा का त्यौहार मनाएं......                           आओ नववर्ष मनाएं मयस्सर डोर से फिर एक मोती झड़ रहा है, तारीखोंं के जीने से दिसंबर उतर रहा है, कुछ चेहरे घटे, कुछ यादें जुड़ गई वक्त में, उमर का पंछी नित दूर-दूर उड़ रहा है, गुनगुनी धूप और ठिठुरती रातें जाड़े की, गुजरे लम्हों पर भी झीना झीना पर्दा गिरा रहा है,  जा़यका लिया नहीं जिंदगी का और फिसल रही है जिंदगी, आसमां समेटता वक्त, बादल बन उड़ रहा है, फिर एक दिसंबर गुजर रहा है........ हर साल हम यही सोचते हैं कि यह साल बहुत जल्दी बीत गया | साल का आखिरी महीना इसी उधेड़बुन में निकल जाता है कि जाता हुआ यह साल हमें क्या दे गया या हमसे क्या लेकर चला गया | हर साल की यही कहानी है, हर साल नया साल आएगा कुछ ना कुछ सिखाएगा जिंदगी की किताब में कुछ नए अध्याय जोड़ कर जाएगा और हम हर साल पुराने सालों की याद करेंगे | नए साल के बहाने हमें एक मौका मिलता है जब हम पीछे मुड़कर देख सकते हैं कि हमने अपने साथ क्या किया, अपने आस...
           अपनी समझ का इस्तमाल कीजिये विचारणीय ...... मुफ़्तख़ोरी की पराकाष्ठा! मुफ़्त ऋण मुफ़्त दवा, मुफ़्त जाँच, लगभग मुफ़्त राशन, मुफ़्त शिक्षा, बच्चा पैदा करने पर पैसे , बच्चा पैदा नहीं (नसबंदी)करने पर पैसे, स्कूल में खाना मुफ़्त ,  मुफ़्त बाँटने की होड़ मची है, पिछले दस सालों से लेकर आगे बीस सालों में एक एसी पूरी पीढ़ी तैयार हो रही है या हमारे नेता बना रहे हैं जो पूर्णतया मुफ़्त खोर होगी! अगर आप उनको काम करने को कहेंगे तो वो गाली देकर कहेंगे की सरकार क्या कर रही है! ये मुफ़्त खोरी की ख़ैरात कोई भी पार्टी अपने फ़ंड से नही देती टैक्स दाताओं का पैसा इस्तेमाल करती है! हम नागरिक नहीं परजीवी तैयार कर रहे हैं! देश का अल्प संख्यक टैक्स दाता बहुसंख्यक मुफ़्त खोर समाज को कब तक पालेगा ? जब ये आर्थिक समीकरण फ़ेल होगा तब ये मुफ़्त खोर पीढ़ी बीस तीस साल की हो चुकी होगी जिसने जीवन में कभी मेहनत की रोटी नही खाई होगी हमेशा मुफ़्त की खायेगा !नहीं मिलने पर, ये पीढ़ी नक्सली बन जाएगी , उग्रवादी बन जाएगी पर काम नही कर पाएगी ! सोचने की बात है कि सरक...