रा से राम......रा से रावण...... आजकल हर त्योहार की शुरुआत होती है सोशल मीडिया और व्हाट्सएप पर शुभकामना संदेशों के आने से | नवरात्री और फिर दशहरा की शुरुआत भी ढेरों अलग-अलग तरह की शुभकामनाओं के संदेशों से हुई, संदेश बनाने वाले और सोचने वाले भी बहुत ही सृजनात्मक होते हैं | जैसे ही आज यह मैसेज देखा उस समय लगा कि क्रिएटिविटी की कोई हद नहीं है, इंसानी बुद्धि की सोच का कोई अंत नहीं है | तभी से बहुत तरह के विचार बार-बार ज़हन में आ रहे हैं, कितने साधारण रुप से लिखा है ! 'रा' से ही राम की शुरुआत होती है और 'रा' से ही रावण की लेकिन दोनों का अंत कितना अलग है ! हमारे जीवन में भी यह कितना कितना सटीक बैठता है, हम शून्य से शुरू करते हैं..... कोई दहाई तक पहुंचता है..... कोई सैकड़ा तक..... कोई हजार तक तो कोई लाख तक...... सब का अंत अलग अलग है | वास्तव में जीवन में महत्वपूर्ण क्या है ? शून्य से शुरुआत करना और अंत में आपके कर्म के पीछे, आपकी उपलब्धियों के पीछे कितने शून्य लगे हैं यह महत्वपूर्ण है यानी कि आप दस नंबरी हैं यह सौ नंबरी य...